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रात के विरुद्ध प्रात के लिए
Sun Sep 28, 7:30 PM
lamakaan
रात के विरुद्ध प्रात के लिए
*कोरस*
‘कोरस’, हमारे महादेश की रंग-बिरंगी संस्कृति का मंच है. जनता के मेहनतकश तबकों, स्त्रियों, बच्चों और बुजुर्गों के जीवन का समूह - संगीत, उनके सुख -दुःख, संघर्ष और आशाओं का कोरस देश-दुनिया को बेहतर बनाने के काम आए, यही इसका उद्देश्य है. ‘कोरस’, हिंसक शोर-शराबे के बीच जनता के संघर्षमय जीवन-संगीत को डुबो देने के खिलाफ प्रतिरोध का मंच है. ‘कोरस’, पूंजी की सभ्यता का विकल्प रचने वाले सच्चे जन-आंदोलन का हमराही है. सदियों से शास्त्र व शस्त्र बल से खामोश किये गए लाखों मूक नायक - नायिकाओं की मुखरता है. हमारे देश और दुनिया में चल रही हजारहां सांस्कृतिक पहलकदमियों के बीच एक पहल ‘कोरस ‘ भी है.
कोरस ने पिछले 10 वर्षों में देश के अनेक हिस्सों में नाट्य महोत्सवों, नाट्य व गीत कार्यशालाओं, मंच व नुक्कड़ नाटक, विचार व काव्य गोष्ठियों, लोक व जनगीत गायन के संजीदा आयोजनों के जरिए सांस्कृतिक बहुलता और एकता पर हमलों के सबसे खतरनाक दौर में ‘हम भारत के लोग’ का समूह स्वर बनने की कोशिश जारी रखी है. रंगशालाओं, सभागारों व विश्वविद्यालय परिसरों के साथ ही गांव–मोहल्लों की गरीब बस्तियों से लेकर सड़कों पर जनसामान्य के बीच पहुंचकर संघर्षमय जीवन संगीत का प्रतिरोध रचा जा सके, कोरस इस अभियान में शरीक है.
*कोरस*
‘कोरस’, हमारे महादेश की रंग-बिरंगी संस्कृति का मंच है. जनता के मेहनतकश तबकों, स्त्रियों, बच्चों और बुजुर्गों के जीवन का समूह - संगीत, उनके सुख -दुःख, संघर्ष और आशाओं का कोरस देश-दुनिया को बेहतर बनाने के काम आए, यही इसका उद्देश्य है. ‘कोरस’, हिंसक शोर-शराबे के बीच जनता के संघर्षमय जीवन-संगीत को डुबो देने के खिलाफ प्रतिरोध का मंच है. ‘कोरस’, पूंजी की सभ्यता का विकल्प रचने वाले सच्चे जन-आंदोलन का हमराही है. सदियों से शास्त्र व शस्त्र बल से खामोश किये गए लाखों मूक नायक - नायिकाओं की मुखरता है. हमारे देश और दुनिया में चल रही हजारहां सांस्कृतिक पहलकदमियों के बीच एक पहल ‘कोरस ‘ भी है.
कोरस ने पिछले 10 वर्षों में देश के अनेक हिस्सों में नाट्य महोत्सवों, नाट्य व गीत कार्यशालाओं, मंच व नुक्कड़ नाटक, विचार व काव्य गोष्ठियों, लोक व जनगीत गायन के संजीदा आयोजनों के जरिए सांस्कृतिक बहुलता और एकता पर हमलों के सबसे खतरनाक दौर में ‘हम भारत के लोग’ का समूह स्वर बनने की कोशिश जारी रखी है. रंगशालाओं, सभागारों व विश्वविद्यालय परिसरों के साथ ही गांव–मोहल्लों की गरीब बस्तियों से लेकर सड़कों पर जनसामान्य के बीच पहुंचकर संघर्षमय जीवन संगीत का प्रतिरोध रचा जा सके, कोरस इस अभियान में शरीक है.